गहरी अकेली इक रात में, जब चाँद न था आकाश में
नज़रे उठा के देखा तो पाया उन तारों को साथ में।
इतने झिलमिल इतने रोशन पहले तो तुम न थे
इतनी बार यहाँ आई हूँ, पहले तो तुम यहाँ न थे।
हंसने लगे सितारे, खिलखिलाते हुए कहा
सच कहा तुमने, तुमने आज ही हमे देखा।
कल चाँद तुम्हारे साथ था, चलका रहा था रौशनी
क्योँ हमे तुम देखती, तुमे क्या थी कोई कमी।
पर चाँद तो हमेशा से ही है चंचल, कब एक सा वोह रहा है?
आज जो हम बात कर रहे हैं, उसकाoo न होना ही इसकी वजह है।
काल फिर आएगा, हमसे ज़िदा चमकेगा जगमगआयगा
उसकी जगमग रौशनी में हमारा रंग फिर से छुप जाऐगा।
पर हम तो हमेशा से ही हैं तुम्हारे, थे और रहेंगे
जब चाहो बस नज़र उठाकर देखना, बस इतना ही कहेंगे।
उस रात मैंने अपनी आखों को नाम पाया
सितारों का साथ क्या होता है यह समझ आया।
कब में थी तनहा अकेली, तुम ही साथ मेरे सभी
अब चाँद कितना भी चमके, तुम्हे न भूल पाऊँगी कभी।
- स्मृती
Thursday, December 17, 2009
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12 comments:
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई। मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।
अच्छी रचना बधाई। ब्लॉग जगत में स्वागत।
Badi sundar bholi bhali rachna...chand wartanee theek kar len to aur prabhavi hogi!
कविता भावों की अभिव्यक्ति है.
एक साल पर एक पोस्ट.
नियमित लिखिए सुधार हो जाएगा. चिट्ठाजगत में स्वागत है.
बहुत हीं सुन्दर रचना । स्वागत है ।
बेहतरीन रचना
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी टिप्पणियां दें
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये
गहरी अकेली इक रात में, जब चाँद न था आकाश में
नज़रे उठा के देखा तो पाया उन तारों को साथ में।
बहुत ही अच्छी रचना है। ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
pls visit
http://dweepanter.blogspot.com
jandar,shandar,damdar.narayan narayan
beutiful moulding of thoughts, Smriti. good poem, go on.
----हर बन्द की दोनों पन्क्तियों में बस मात्रायें समान रखो.
----बन्द २ में--इतने झिलमिल.....२७ मात्राएं
--इतनी बार.....३० मात्रायें----अतः पहली लाइन में ...तुम कभी न थे ( कभी=३ मात्राएं जोडने पर)=३० मात्राएं तथा लय अच्छी हो जाती है. पढकर देखो.
aapke bhawo ka or aapke lekhan ka swagat hai.....!!
Likhte rahen meri shubhkamnayen aapke sath hai////
Jai HO Mangalmay ho
Sim Sim Sim :)
I uploaded my response!
http://window-anand.blogspot.com/2009/12/blog-post.html
And the second response is here.
:-)
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