Thoughts Moulded Into Rhymes
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दिल की बात होंठों से सुना पाते तो क्या बात थी,तुम्...
दिल के किसी कोने मैं तू राज़ की तरह छुपा थाबंद आंख...
लड़ती नहीं हैं लहरें ये, न करती हैं किनारे से कोई ...
आज सोचा जिंदगी को इक नया मोड़ दूँआंखें कब से मेरी ...
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Smriti Khullar
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Thursday, July 31, 2008
लड़ती नहीं हैं लहरें ये, न करती हैं किनारे से कोई तकरार
बेखौफ़ उड़ान ये भरती हैं, ये नादान तो हैं बेकरार।
संग रहना चाहती हैं तट के, चाहती हैं उसे बेशुमार
जानती हैं यह मुमकिन नहीं, तो बस चूम आती हैं उसे बार बार।
- स्मृती
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